1. राजनीतिक अशांति और जन विरोध
बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल महीनों से तनावपूर्ण था, जिसमें जनता के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा था। लोग भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन और शेख हसीना की सरकार के तहत बढ़ते तानाशाही रवैये के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। ये विरोध जल्दी ही एक बड़ा जन आंदोलन बन गए, जिससे देश की स्थिरता को खतरा पैदा हो गया।
2. आर्थिक संकट
बांग्लादेश एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, जिसमें महंगाई, बेरोजगारी और धीमी अर्थव्यवस्था प्रमुख समस्याएं थीं। आर्थिक संकट ने जनता के गुस्से को और भड़काया, क्योंकि कई लोग सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते थे। इस आर्थिक असंतोष ने विरोध प्रदर्शनों को और तेज कर दिया, जिससे शेख हसीना की सरकार पर भारी दबाव पड़ने लगा।
3. विपक्षी दलों का दबाव
बांग्लादेश के विपक्षी दलों ने बढ़ते असंतोष का फायदा उठाया और बड़े पैमाने पर रैलियों का आयोजन किया, जिसमें शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की गई। उन्होंने उन पर चुनाव में धांधली करने और अलोकतांत्रिक तरीकों से सत्ता बनाए रखने का आरोप लगाया। विपक्ष के संगठित प्रयासों ने राजनीतिक संकट को और गहरा कर दिया, जिससे शेख हसीना के लिए सत्ता पर काबिज रहना मुश्किल हो गया।
4. अंतरराष्ट्रीय दबाव और कूटनीतिक अलगाव
शेख हसीना की सरकार को सिर्फ देश के भीतर से ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। मानवाधिकार संगठनों और विदेशी सरकारों ने उनके प्रशासन के कार्यों, विशेष रूप से असंतोष और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किए गए दमन के लिए उनकी आलोचना की। इस कूटनीतिक अलगाव ने उनकी स्थिति को कमजोर कर दिया, क्योंकि उन्होंने महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समर्थन खो दिया था, जिससे प्रभावी ढंग से शासन करना कठिन हो गया।
5. सुरक्षा चिंताएं और व्यक्तिगत सुरक्षा के खतरे
जैसे-जैसे विरोध प्रदर्शन बढ़ते गए और राजनीतिक स्थिति और भी अस्थिर होती गई, शेख हसीना की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न हो गए। उनके खिलाफ हमलों और हत्या की साजिशों की खबरों ने उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी। अंततः, जनता के तीव्र दबाव, राजनीतिक विरोध और सुरक्षा खतरों के संयुक्त प्रभाव ने उन्हें देश छोड़ने और प्रधानमंत्री पद से हटने के लिए मजबूर कर दिया।
ये पाँच प्रमुख बिंदु शेख हसीना के पद छोड़ने और देश छोड़कर भागने के निर्णय के पीछे के कारणों को स्पष्ट करते हैं। बांग्लादेश में स्थिति अभी भी अस्थिर है, और देश इस राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजरते हुए अनिश्चित भविष्य की ओर बढ़ रहा है।